अनुतान
जब कोई व्यक्ति कुछ बोलता है, तब वह यों ही धाराप्रवाह बोलता नहीं जाता, बल्कि किसी शब्द या वाक्य को बोलने के समय अपने भावों ( सुख, दुःख, आश्चर्य, खीझ आदि) के अनुरूप शब्द- ध्वनि को ऊपर-नीचे चढ़ाताउतारता है। इसी चढ़ाव-उतार या आरोह अवरोह अथवा ऊँची-नीची स्वर (ध्वनि) लहरी को 'सुर-लहर' या सुर का अनुतान कहते हैं। जैसे—
'अच्छा' शब्द को विभिन्न अनुतान में बोला जा सकता है—
अच्छा।—सामान्य कथन (अनुतान समान है।)
अच्छा ?—प्रश्नवाचक (अनुतान जोरदार है।)अच्छा!—आश्चर्य(अनुतान अंत में लंबा है।)
इसी प्रकार वाक्य में भी भावानुसार अनुतान का प्रभाव देखा जाता है।जैसे—
वह जा रहा है। (अनुतान सभी अक्षरों में समान है।)
वह जा रहा है ? (अनुतान बीच में उठता है और अंत में गिरता है।)
वह जा रहा है ! (अनुतान अंत में उठकर लंबा हो जाता है।)