अनुस्वार एवं चंद्रबिंदु का शुद्ध प्रयोग - वर्तनी

(क)पंचमाक्षर यदि अगले व्यंजन के साथ संयुक्त हो, तो अनुस्वार का प्रयोग करें। जैसे—अंक, मंजन, मंडन, बिंदु, खंभा आदि ।

(ख)चंद्रबिंदुवाले शब्दों में, चंद्रबिंदु के बदले अनुस्वार का प्रयोग न करें । इससे अर्थ में बहुत अंतर आ जाता है । जैसे— हंस-हँस, अंगना- अँगना आदि में बहुत अंतर है।

नोट—सिर्फ शिरोरेखा पर चंद्रबिंदु न देकर उसके बदले बिंदु दें । जैसे—चलें, में, मैं, हैं, सिंगार आदि ।

(ग) बहुवचन के इन रूपों – लड़कियाँ, साड़ियाँ, तिथियाँ, नीतियाँ, मिठाइयाँ, कठिनाइयाँ, भाषाएँ, संज्ञाएँ आदि में चंद्रबिंदु दें, बिंदु नहीं ।

(घ)अनुस्वारयुक्त तत्सम शब्दों का तद्भव रूप प्रायः चंद्रबिंदु के साथ आता है। जैसे—अंकुर अंकरा, अंचल आँचल, अंतर अंतरा, अंधकार अँधेरा, अंकआँक, चंद्र-चाँद, झंप-झाँप, टंकण-टाँकना, दंत-दाँत, पंक-पाँक, पंचपाँच, बंधन-बाँधना, बिंदु-बूँद, भृंगराज-भँगरैया, मंजन-माँजना, रंगरँगा, यंत्र-जाँत आदि ।