कर्ताकारक - अर्थ एवं प्रयोग - (उदाहरण-सहित)

जो काम (क्रिया) करता है उसे कर्ता कहते हैं। संस्कृत में कर्ता को ही कर्ताकारक कहते हैं। इसका चिह्न अर्थात् इसकी विभक्ति 'o'एवं 'ने'है।
जैसे–

मोहन खाता है।(o-विभक्ति)
मोहन ने खाया।('ने' विभक्ति)

दोनों वाक्यों से स्पष्ट है कि खाने का काम (क्रिया) मोहन करता है। जहाँ पहले वाक्य में 'ने' चिह्न लुप्त है या छिपा हुआ है, वहीं दूसरे वाक्य में यह चिह्न स्पष्ट है।

'ने' चिह्न का प्रयोग कहाँ-कहाँ होता है—

1. जब क्रिया सकर्मक हो, तब सामान्य भूत, आसन्न भूत, पूर्ण भूत, संदिग्ध भूत और हेतुहेतुमद् भूत कालों में कर्ता के 'ने' चिह्न का प्रयोग होता है। जैसे

सामान्य भूतउसने रोटी खाई।
आसन्न भूतउसने रोटी खाई है।
पूर्ण भूतउसने रोटी खाई थी।
संदिग्ध भूतउसने रोटी खाई होगी।
हेतुहेतुमद् भूतअगर उसने रोटी खाई होती, तो पेट भर गया होता।

2. अकर्मक क्रिया में कर्ता के 'ने' चिह्न का प्रयोग प्रायः नहीं होता, लेकिन- नहाना, खाँसना, छींकना, थूकना, भूकना आदि अकर्मक क्रियाओं में इस चिह्न का प्रयोग उपर्युक्त भूतकालों में होता है। जैसे

राम ने नहाया।उसने छींका था।
उसने खाँसा है।मैंने थूका होगा।

3. जब अकर्मक क्रिया सकर्मक बन जाती है, तब इस चिह्न का प्रयोग उपर्युक्त भूतकालों में होता है। जैसे

उसने बच्चे को रुलाया।मैंने कुत्ते को जगाया था।
माँ ने बच्चे को हँसाया।उसने बिल्ली को सुलाया होगा।

4. यदि अकर्मक क्रिया के साथ कोई सजातीय कर्म आ जाए तो उपर्युक्त भूतकालिक प्रयोगों में यह चिह्न प्रयुक्त होगा। जैसे–

उसने तीखी बोलियाँ बोली।(बोली बोलना)
उसने टेढ़ी चाल चली हैं।(चाल चलना)
उसने कई लड़ाइयाँ लड़ी थी।(लड़ाई लड़ना)

5. यदि संयुक्त क्रिया का अंतिम खंड सकर्मक हो, तो उपर्युक्त भूतकालों में इस चिह्न का प्रयोग होगा। जैसे

उसने जी भरकर टहल लिया।
उसने जी भरकर टहल लिया है।
मैने दिल खोलकर हँस लिया था।
उसने दिल खोलकर रो लिया होगा।
यदि उसने दिल खोलकर रो लिया होता, तो मन शांत हो जाता।

6. 'देना' या 'डालना' क्रिया के पहले यदि कोई अकर्मक क्रिया भी हो, तो अपूर्ण भूत और हेतुहेतुमद् भूत कालों को छोड़कर सभी भूतकालों में इस चिह्न का प्रयोग होगा। जैसे

सामान्य भूतउसने घंटों सो डाला।
आसन्न भूतउसने घंटों सो डाला है।
पूर्ण भूतउसने घंटों सो डाला था।
संदिग्ध भूतउसने घंटों सो डाला होगा।

7. कभी-कभी अनुमतिसूचक अकर्मक क्रिया का रूप सकर्मक की तरह होता है,तब उपयुक्त भूतकालों में इस तरह का प्रयोग होगा।जैसे

मोहन ने मुझे बोलने न दिया।
डॉक्टर ने उसे टहलने दिया था।
सिपाही ने चोर को भागने न दिया होगा।

8. इच्छासूचक क्रिया रहने पर उपर्युक्त भूतकालों में इस चिह्न का प्रयोग होता है। जैसे

मैने रोना चाहा।उसने हँसना चाहा है।
उसने आना चाहा था।सोहन ने जाना चाहा होगा।

'ने' चिह्न का प्रयोग कहाँ-कहाँ नहीं होता—

कर्ता के 'ने' चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित अवस्थाओं में न करें—

1. वर्तमानकाल और भविष्यत्‌काल के सभी भेदों तथा मात्र अपूर्ण भूतकाल में इस चिह्न का प्रयोग नहीं होता है। जैसे

वह खाता है।वे खेलेंगे।
वह खा रहा है।वे खेलते रहेंगे।
वह खा रहा था।मैं पढ़ चुकूँगा।

2. वैसे तो सिर्फ अपूर्ण भूतकाल को छोड़कर सभी भूतकालों में, सकर्मक क्रिया रहने पर इस चिह्न का प्रयोग होता है, लेकिन पूर्वकालिक क्रिया रहने पर, इस चिह्न का प्रयोग नहीं होता। जैसे

वह आकर पढ़ा।मैं नहाकर खाया था।
वह बैठकर गया है।वह सोकर लिखा होगा।

3. वैसे तो सकर्मक किया रहने पर भूतकालिक प्रयोग में 'ने' चिह्न लगता है, लेकिन कुछ सकर्मक क्रियाओं-बकना, बोलना, भूलना, समझना आदि के रहने पर इस चिह्न का प्रयोग न करें। जैसे

वह मुझसे बोली।श्याम गाली बका है।
तुम नहीं समझे थे।वह मुझे भूल गया होगा।

4. अकर्मक क्रियाओं के भूतकालिक प्रयोग में इस चिह्न का प्रयोग न करें।जैसे

वह आया।राम दौड़ा।
तुम नहीं गए।वह सो गया था।

5. संयुक्त क्रिया का अंतिम खंड अकर्मक हो, तो भूतकालिक प्रयोग में इस चिह्न का प्रयोग नहीं होगा। जैसे

वह रसोई बना चुकी(बना चुकी- संयुक्त क्रिया)

6. सजातीय कर्म के रहने पर भी 'बैठना' क्रिया के साथ भूतकालिक प्रयोग में इस चिह्न का प्रयोग नहीं होता है। जैसे

वह अंगद की बैठक बैठा।
सोहन अपाहिज की बैठक बैठा था।

7. नित्यबोधक संयुक्त क्रिया के रहने पर इस चिह्न का प्रयोग नहीं होता है। जैसे

सेना आगे बढ़ती गई।वृक्ष बढ़ता गया।
लड़की सयानी होती गई।वह खाता गया।

8. चुकना, जाना और सकना के भूतकालिक प्रयोग में इस चिह्न का प्रयोग न करें। जैसे

वह लिख चुका।राम बोल न सका।
तुम पटना गए।तू गा न सका।