कर्मकारक - अर्थ एवं प्रयोग - (उदाहरण-सहित)

कर्ता द्वारा संपादित क्रिया का प्रभाव जिस व्यक्ति या वस्तु पर पड़े उसे कर्मकारक कहते हैं। इसका चिह्न 'o'एवं 'को'है। जैसे

सोहन आम खाता है।(0-विभक्ति)
सोहन मोहन को पीटता है।(को-विभक्ति)

यहाँ, खाना (क्रिया) का फल 'आम' पर और पीटना (क्रिया) का फल 'मोहन' पर पड़ता है, अतः 'आम'और 'मोहन को'कर्मकारक है।
नोट– 'आम' के साथ 'को' चिह्न छिपा है, लेकिन मोहन के साथ यह चिह्न 'को' स्पष्ट है।

'को' चिह्न का प्रयोग कहाँ-कहाँ होता है—

'को' कर्मकारक का चिह्न है। इसका प्रयोग कर्मकारक के अतिरिक्त कुछ दूसरे कारकों में भी होता है। जैसे–

1. कर्मकारक के रूप में

राम ने रावण को मारा।(रावण को-कर्मकारक)

2. कर्मकारक के रूप में, प्रेरणार्थक क्रिया के गौण कर्म में

शिक्षक छात्र को हिन्दी पढ़ाते हैं।(छात्र को - गौण कर्म)
माँ बच्चे को खाना खिलाती है।(बच्चे को गौण कर्म)

3. यदि अस्तित्व के अर्थ में 'होना' क्रिया का प्रयोग हो, तो कर्मकारक के 'को' का रूपांतर 'के' में हो जाता है। जैसे

सोहन के पुत्र हुआ है।('को' के बदले 'के')
उसके दो पत्नियाँ हैं।('को' के बदले- 'के')

4.कर्ताकारक के रूप में, क्रिया की अनिवार्यता प्रकट करने के लिए

राम को पटना जाना होगा।(राम को-कर्ताकारक)
मोहन को पत्र लिखना है।(मोहन को-कर्ताकारक)

5. कर्ताकारक के रूप में-कै, दस्त, टट्टी आदि शारीरिक आवेगों की अभिव्यक्ति के लिए

रोगी को बिछावन पर टट्टी हो गई।(रोगी को-कर्ताकारक)
श्याम को कै हो गई।(श्याम को-कर्ताकारक)

6. कर्ताकारक के रूप में, मानसिक आवेगों की अभिव्यक्ति के लिए

  • सीता को चिंता सता रही है।
  • गीता को दुःख हुआ।

7. कर्ताकारक में, यदि 'दे' सहायक क्रिया के रूप में प्रयुक्त हो

सोहन को आम खाने दो।(सोहन को-कर्ताकारक)
मोहन को किताब पढ़ने दो।(मोहन को-कर्ताकारक)

8. संप्रदानकारक के रूप में

राम ने श्याम को पुस्तक दी।(श्याम को-संप्रदानकारक)
छात्र ने शिक्षक को पुस्तक दी।(शिक्षक को-संप्रदानकारक)

9. यदि इच्छासूचक के रूप में मन, जी आदि का प्रयोग हो

भगवद्गीता पढ़ने को मन करता है।(पढ़ने को- संप्रदानकारक)
रामायण सुनने को जी करता है।(सुनने को-संप्रदानकारक)

10. अधिकरण के रूप में, समयसूचक शब्दों के साथ

वह प्रतिदिन रात को आता है।(रात को-संप्रदानकारक)
वह चार बजे सुबह को जाता है।(सुबह को संप्रदानकारक)