तत्सम शब्दों में अशुद्धियों का शोधन - वर्तनी
(क) हिन्दी में बहुत सारे तत्सम शब्द प्रयुक्त होते हैं, उनमें कुछ शब्दो के अंत में हल् आता है। जैसे—महान्, विद्वान् (विद्वान्), चित्, दिक्, जगत्, विद्युत् (विद्युत्) आदि। यदि हल् के बिना इन शब्दों को लिखा जाए, तो इन शब्दों की व्युत्पत्ति समझ में नहीं आएगी। साथ ही, संधि और छंद में भी कठिनाई उत्पन्न हो जाएगी, अतः हल् हटाना उचित नहीं है।
(ख) द्वित्व का प्रयोग यथासंभव होना चाहिए। जैसे चक्का, अड्डा आदि। लेकिन, जिन शब्दों में सत्ता, पत्ता, कुत्ता, अब द्वित्व का प्रयोग नहीं होता है, वहाँ इससे बचना चाहिए। जैसे- आवर्तन, परिवर्तन वर्तमान कर्ता आदि।
(ग) कुछ तत्सम शब्दों में विसर्ग ( : ) का प्रयोग होता है। जैसे–स्वतः प्रातः प्राय: मूलत: अंशतः पय: पान, स्वान्तः सुखाय आदि। इनमें विसर्ग का प्रयोग अवश्य करें। . .