पुलिंग शब्दों के बहुवचन - नियमानुसार, उदाहरणसहित
1. आकारांत पुलिंग संज्ञा के 'आ' को 'ए' में बदलने से बहुवचन बनता है।
जैसे–
एकवचन— | लड़का | कमरा | घोड़ा | कुत्ता | सोफा | पहिया | पूआ |
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बहुवचन— | लड़के | कमरे | घोड़े | कुत्ते | सोफे | पहिये | पूए |
ऐसे कुछ शब्द हैं-
मेला, केला, चेला, ठेला, गमला, ताला, मसाला, बकरा, बछड़ा, कपड़ा, भेड़ा, जूता, छाता, रास्ता, कुरता, आटा, काँटा, बेटा, पराँठा, अँगूठा, चना, खिलौना, गन्ना, पंखा, चरखा, चश्मा, तारा, चौराहा, आदि।
अब विभक्तिरहित या विभक्तिसहित उपर्युक्त संज्ञा-शब्दों को वाक्य-प्रयोग की दृष्टि से देखें-
एकवचन (विभक्तिरहित)— | लड़का पढ़ता है। | कमरा साफ है। | घोड़ा मोटा है। |
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बहुवचन (विभक्तिरहित)— | लड़के पढ़ते हैं। | कमरे साफ है। | घोड़े मोटे हैं। |
लेकिन, एकवचन में विभक्ति का प्रयोग हो, तो ऐसे आकारांत पुलिंग शब्द एकारांत हो जाते हैं। जैसे-
एकवचन (विभक्तिसहित)— एक लड़के ने, एक कमरे में, एक सोफे पर, एक बच्चे को, एक पूए के लिए रोते देखा।
ऊपर के वाक्यों में प्रयुक्त 'ने', 'में', 'पर' आदि विभक्तियाँ हैं।
ऐसे शब्दों का प्रयोग बहुवचन में विभक्ति के साथ करना हो, तो इस प्रकार करें—
बहुवचन (विभक्तिसहित)–लड़कों ने, कमरों में, सोफों पर, बच्चों को, पूओं के लिए रोते देखा।
अपवाद—लेकिन, कुछ आकारांत पुलिंग संज्ञाएँ दोनों वचनों में विभक्तिरहित एक ही रूप में प्रयुक्त होती हैं।
जैसे–बाबा, दादा, नाना, काका, चाचा, मामा, पिता, कर्ता, दाता, देवता, जामाता, योद्धा, युवा, राजा आदि।
एकवचन— | उसे एक मामा है। | मामा ने कहा। | मैं राजा हूँ। |
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बहुवचन— | उसे दो मामा हैं। | दोनों मामा ने कहा। | हमलोग राजा हैं। |
नोट—(क) ऐसे शब्दों का प्रयोग इस प्रकार न करें—
एकवचन— | दादे ने | नाने से | मामे की | — | गलत प्रयोग। |
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बहुवचन— | दादाओं ने | नानाओं से | मामाओं की | — | गलत प्रयोग। |
लेकिन, संस्कृत के आकारांत शब्दों (योद्धा, पिता, राजा, कर्ता आदि) के अंत में 'ओ', लगाकर विभक्तिसहित बहुवचन बनाए जाते हैं।
जैसे–राजाओं ने, राजाओं को, राजाओं से, राजाओं के लिए; योद्धाओं ने, योद्धाओं को, योद्धाओं से, योद्धाओं के लिए।
(ख) विभक्तिरहित या विभक्तिसहित आकारांत पुंलिंग संज्ञा शब्दों के एकवचन एवं बहुवचन प्रयोग में सावधानी बरतें—
एकवचन— | लड़का खाता है। | लड़के को खिलाओ। | लड़के ने कहा। |
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बहुवचन— | लड़के खाते हैं। | लड़कों को खिलाओ। | लड़कों ने कहा। |
2. एकवचन आकारांत पुलिंग संज्ञाओं को छोड़कर अन्य स्वरों (अ, इ,ई, उ, ऊ, ए, ओ, औ) से अंत होनेवाले शब्द दोनों वचनों में एक ही रूप में रहते हैं और वचन की पहचान वाक्य में प्रयुक्त क्रिया से होती है।
जैसे–एकवचन— | बालक पढ़ता है। | कवि कहता है। | भाई आया। | साधु पूजता है। | उल्लू बैठा है। | बैल चरता है। |
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बहुवचन— | (दो) बालक पढ़ते हैं। | (सभी) कवि कहते हैं। | (दोनों) भाई आए। | (कई) साधु पूजते हैं। | (कितने) उल्लू बैठे हैं? | (सभी) बैल चरते हैं। |
ऐसे कुछ शब्द हैं–बालक, नर, घर, कवि, ऋषि, मुनि, स्वामी, सिपाही, गुरु, कृपालु, भालू, डाकू, दूबे, चौबे, कोदो, रासो, सरसों, जौ, गौ आदि ।
इनका विभक्तिसहित बहुवचन होगा—
बालक— | बालकों ने | बालकों को | बालकों से आदि। |
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कवि— | कवियों ने | कवियों को | कवियों से आदि। |
सिपाही— | सिपाहियों ने | सिपाहियों को | सिपाहियों से आदि। |
गुरु— | गुरुओं ने | गुरुओं को | गुरुओं से आदि। |
डाकू— | डाकुओं ने | डाकुओं को | डाकुओं से आदि। |
चौबे— | चौबेओं ने | चौबेओं को | चौबेओं से आदि। |
जौ— | जौओं ने | जौओं को | जौओं से आदि। |
लेकिन, जिनमें पहले से 'ओ' लगा हुआ है, उनका रूप ज्यों-का-त्यों रहेगा।जैसे–सरसों-सरसों ने, सरसों को, सरसों से आदि ।
3. एकवचन पुलिंग शब्दों के 'आँ' को ' एँ ' में बदलने से बिभक्तिरहित बहुवचन बनता है।
जैसे–रोआँ-रोएँ, धुआँ-धुएँ, कुआँ-कुएँ, आदि।
विभक्तिसहित बहुवचन का रूप होगा- रोओं, धुओं, कुओं, आदि।
एकवचन— | मुझे एक कुआँ है | उस कुएँ का पानी मीठा है |
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बहुवचन— | मुझे दो कुएँ हैं | उन कुओं का पानी मीठा है |