मौखिक एवं लिखित भाषा
भाषा के अभिव्यक्ति की मुख्यतः दो रूप हैं— मौखिक और लिखित। मुख द्वारा उच्चारित भाषा यदि अर्थपूर्ण हो तो वह मौखिक भाषा कहलाती है। भाषा का यह रूप मानव को सहज ही सामाजिक वातावरण से प्राप्त होता है। पढ़े-लिखे या अनपढ़ इस मौखिक भाषा का प्रयोग करते हैं। हाॅं, यह सही है कि पढ़े-लिखे लोग अपेक्षाकृत शुद्ध भाषा का प्रयोग करते हैं और अनपढ़ अशुद्ध का। दूसरी बात, लिखित भाषा का प्रयोग सिर्फ पढ़े लिखे-लोग ही कर सकते हैं अनपढ़ नहीं।
मौखिक भाषा के द्वारा अपने विचारों और भावों के स्मरण को अधिक दिनों तक नहीं रख सकते हैं, उन विचारों और भावों को लिखित संकेत (लिपि) के माध्यम से कागज पर व्यक्त करते हैं। यह लिखित भाषा है। लिखित भाषा सीखने में अपेक्षाकृत अधिक श्रम एवं समय की आवश्यकता होती है। स्पष्ट है कि मुख द्वारा उच्चारित अर्थपूर्ण ध्वनि मौखिक भाषा है और किसी प्रतीक चिन्ह द्वारा उन ध्वनियों को सांकेतिक रूप देना लिखित भाषा।