लिंग-निर्णय के सामान्य नियम

प्राणिवाचक शब्दों का लिंग-निर्णय करना आसान है, परन्तु अप्राणिवाचक का अपेक्षाकृत कठिन। लेकिन, बोलते या लिखते समय लिंग-निर्णय के नियमों को ध्यान में रखा जाए,तो धीरे- धीरे कठिनाईयां दूर होती जाएंगी। लिंग–निर्णय के कुछ सामान्य नियम दिए जा रहे है, इन्हे समझने की कोशिश करें।

लिंग-निर्णय के सामान्य नियम

1. मनुष्य और बड़े जीवों में पुलिंग/स्त्रीलिंग की पहचान आसान है। जैसे-

  • पुंलिग- पिता, पुत्र, दादा, नाना, मोर, नाग, आदि।
  • स्त्रीलिंग- माता, पुत्री, हथिनी, ऊँटनी, हंसी, मोरनी, नागिन, आदि।

2. कुछ ऐसे जीव, जिनमें पुलिंग/स्त्रीलिंग की पहचान कठिन है, उन्हें या तो पुलिंग मान लिया गया है या स्त्रीलिंग। जैसे–

झींगुर, चीता, भालू, गीदड़, बिच्छू, मच्छर आदि — पुंलिंग।

यदि इन संज्ञाओं में 'मादा' शब्द जोड़ दिया जाए, तो ये स्त्रीलिंग हो जाती हैं। जैसे–

मादा चीता, मादा भालू, मादा गीदड़, मादा भेड़िया, मादा मच्छर आदि — स्त्रीलिंग।

कुछ जीव नर हों या मादा, उन्हें स्त्रीलिंग मान लिया गया है। जैसे- कोयल, मैना, मछली, लोमड़ी, गिलहरी, आदि।

3. द्वंद्व समास की प्राणिवाचक संज्ञा पुलिंग और अप्राणिवाचक संज्ञा अंतिम संज्ञा के अनुसार पुलिंग/स्त्रीलिंग होती है।जैसे

  • प्राणिवाचक संज्ञाएँ- माँ-बाप, भाई-बहन, बहन-बहनोई, शिव-पार्वती, राधा-कृष्ण, सीता-राम, नर-नारी, राजा-रानी, गाय-बैल, आदि — पुंलिंग ।
  • अप्राणिवाचक संज्ञाएँ-
    1. अंतिम संज्ञा पुलिंग- अन्न-जल, घर-द्वार, नाक-कान, कपड़ा-लत्ता, चाल-चलन, इलायचीदाना, आदि — पुलिंग।
    2. अंतिम संज्ञा स्त्रीलिंग- दूध-रोटी, दाल-रोटी, चमक-दमक, आदि — स्त्रीलिंग।

4. तत्पुरुष संज्ञाओं (प्राणिवाचक/अप्राणिवाचक) के लिंग का निर्धारण अंतिम संज्ञा के लिंग के अनुसार होता है। जैसे–

  • पुंलिंग(अंतिम संज्ञा पुंलिग)- राजकुमार, राजभवन, राजपुत्र, राजमार्ग, सेनापति, पूजाघर, किताबघर, राहखर्च, विद्यालय, प्रतीक्षालय, आदि।
  • स्त्रीलिंग(अंतिम संज्ञा स्त्रीलिंग)- राजकुमारी, राजकन्या, राजसत्ता, विधानसभा, लोकसभा, धर्मशाला, अतिथिशाला, राष्ट्रभाषा, साहित्य-परिषद्, आदि।

अपवाद

दल(पुलिंग)दलदल (स्त्रीलिंग)
देन (स्त्रीलिंग)लेनदेन (पुलिंग)
मणि (स्त्रीलिंग)नीलमणि (पुलिंग)
मूर्ति (स्त्रीलिंग)त्रिमूर्ति (पुलिंग)

5. हिन्दी में कुछ ऐसी भी अप्राणिवाचक संज्ञाएँ हैं, जो एक अर्थ में तो पुलिंग है, लेकिन दूसरे अर्थ में स्त्रीलिंग। जैसे

  • हार (पुलिंग)— यह मेरा हार (माला) है।
  • हार (स्त्रीलिंग)— आपकी हार (पराजय) हो गई।

कुछ शब्द नीचे दिए जा रहे है-

पुलिंगस्त्रीलिंग
असामी (रैयत, देनदार)असामी (नौकरी)
आड़ (बिच्छू आदि का डंक)आड़ (परदा, रोक)
आर (निकृष्ट लोहा, पीतल)आर (लोहे की पतली कील, टेकुआ)
आसामी (आसाम प्रदेश का निवासी)आसामी (आसाम प्रदेश की भाषा)
उपमाता (उपमा देनेवाला)उपमाता (दूध पिलानेवाली दाई, धाय)
एका (एकता, मेल)एका (दुर्गा)
ओक (अंजलि)ओक (मतली, कै)
ओर (सिरा, छोर, किनारा)ओर (दिशा, पक्ष)
औकात (समय, वक्त)औकात (हैसियत)
कद (प्राणियों की ऊँचाई)कद (द्वेष, जिद)
काँच (शीशा)काँच (लाँग, गुदाचक्र)
कार (कार्य, काम)कार (गाड़ी, मोटर)
कुंभी (हाथी, मगर)कुंभी (छोटा घड़ा, जलकुंभी)
कुट (घर, कलश)कुट (एक झाड़ी की जड़ जो सुगंधित होती है)
कूट (पहाड़ की ऊँची चोटी, रहस्य)कूट (कूटने या पीटने की क्रिया)
क्षयी (चंद्रमा)क्षयी (तपेदिक, यक्ष्मा)
क्षुरी (नाई, वह पशु जिसके पाँव)क्षुरी (छुरी, चाकू) मे खुर हो
खटास (गंध-बिलाव)खटास (खट्टापन)
खराद (खरादने का भाव, बनावट)खराद (एक प्रकार का औजार)
खलासी(जहाज या गाड़ी का नौकर)खलासी(छुटकारा,छुट्टी)
खान( सरदार,पठानों की उपाधि)खान(खदान)
चिर (वस्त्र)चिर (चीरने की भाव क्रिया)

6. कभी-कभी समानार्थक शब्दों में भी लिंग भेद पाए जाते हैं। जैसे–

पुलिंगस्त्रीलिंग
आशीर्वादआशीष
पैरटांग
प्यारमुहब्बत

7. जिन शब्दों के अंत में– आटा, औड़ा, आ, पा, आवा, आव, त्र, पन , र, ख, ना,आदि प्रत्यय लगे हो,वे प्रायः पुलिंग होते है।

जैसे
आटाखराटा, सन्नाटा, आदि।
औड़ापकौड़ा, हथौड़ा, आदि।
घेरा, फेरा, जोड़ा, तोड़ा, रगड़ा, झगड़ा, आदि।
पाबुलावा, भुलावा, बहकावा, पछतावा, चढ़ावा, आदि।
आवाबुलावा, भुलावा, बहकावा, पछतावा, आदि।
आवबहाव, जमाव, बचाव, टकराव, आदि।
त्रपत्र, पात्र, चित्र, मित्र, मंत्र, आदि।
पनबड़प्पन, छुटपन, बचपन, अपनापन, आदि।
रकार, प्रचार, सार, प्रसार, नगर, आदि।
शंख, सुख, नख, मुख, दुःख, आदि।
नालिखना, पढ़ना, हंसना, रोना, दिखाना, आदि।
नालिखना, पढ़ना, हंसना, रोना, दिखावा, आदि।

8. जिन शब्दों के अंत में– नी, री, ती, त, ली, आहट, आवट, इया, ई, आस, आई, आदि प्रत्यय लगे हों, वे प्रायः स्त्रीलिंग होते है। जैसे–

नीशैतानी,हैरानी,मनमानी,चलनी आदि।
रीछतरी,पटरी,गठरी,कटोरी,कोठरी आदि।
तीजाति,समिति, रीति, छाती आदि।
रंगत,राहत,चाहत,हजामत आदि।
लीओखली,तितली,टिकली, डफली आदि।
आहटचिलचिलाहट, चिकनाहट, बुलावट,घबराहट आदि।
आवटलिखावट,मिलावट,गिरावट,थकावट आदि।
इयाखटिया, डलिया, डिबिया टिकिया आदि।
गठरी,गगड़ी,गोली,झोली आदि।
आसखटास,मिठास,प्यास,सांस आदि।
आईभलाई,बुराई,रुलाई, हँसाई, महँगाई, आदि।