लिंग - परिभाषा एवं भेद उदहारण-सहित

लिंग का अर्थ होता है-चिह्न, अर्थात् पुरुष-चिह्न या स्त्री-चिह्न। पुरुष चिह्नवाले को पुरुष- जाति और स्त्री–चिह्नवाले को स्त्री–जाति कहते हैं। 'लड़का'पुरुष–जाति का होता है और 'लड़की'स्त्री जाति की। हिन्दी में सजीव के आतरिक्त निर्जीव या भाव को भी पुरुष-जाति अथवा स्त्री-जाति में रखा गया है। जैसे

सजीवनिर्जीवभाव
पुरुष-जातिलड़कामकानप्यार
स्त्री-जातिलड़कीइमारतमुहब्बत

नोट– पुरुष-जाति को पुंलिंग और स्त्री-जाति को स्त्रीलिंग कहते हैं।

लिंग के भेद

अंग्रेजी में लिंग के चार भेद होते हैं, जबकि संस्कृत में तीन – स्त्रीलिंग, पुंलिंग और नपुंसक, लेकिन हिन्दी में लिंग के दो ही भेद हैं

  1. पुलिंग (Masculine Gender)
  2. स्त्रीलिंग (Feminine Gender)

पुलिंग —जिस शब्द से पुरुष-जाति का बोध हो, उसे पुलिंग कहते हैं। जैसे–

सजीव (प्राणिवाचक):राम, लड़का, घोड़ा, बैल, नाग आदि ।
निर्जीव (अप्राणिवाचक):मकान, पत्र, नेत्र, ऊख, पवन आदि।
भाव(अप्राणिवाचक):प्रेम, बुढ़ापा, लड़कपन, सुख, दुःख आदि।

स्त्रीलिंग —जिस शब्द से स्त्री-जाति का बोध हो, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं।जैसे–

सजीव (प्राणिवाचक):सीता, लड़की, घोड़ी, गाय, नागिन आदि।
निर्जीव (अप्राणिवाचक):इमारत, चिट्ठी, आँख, ईख, हवा आदि।
भाव (अप्राणिवाचक):सचाई, ईमानदारी, बनावट, सजावट आदि।