वर्ण एवं इसके भेद तथा वर्णमाला

वर्ण उस मूल ध्वनि को कहते हैं, जिसके खंड या टुकड़े नहीं हो सकते। जैसे-अ, आ, इ, ई, ओ, क्, ख्, च्, छ्, य्, र्, ल्, आदि।

कुछ शब्द या ध्वनियों  को लेकर उनमें निहित मूल ध्वनि (वर्ण) को समझते हैं। जैसे–
' खा लो।'—इस वाक्य में मुख्यतः दो शब्द या ध्वनियाँ सुनाई पड़ती हैं— 'खा' और 'लो'

अब इसका खंड करें—

खा(एक शब्द / ध्वनि) = ख् + (दो मूल ध्वनियाँ / वर्ण)

लो(एक शब्द / ध्वनि) = ल् + (दो मूल ध्वनियाँ / वर्ण)

 स्पष्ट है कि— 'खा लो' में चार मूल ध्वनियाँ या चार वर्ण हैं, क्योंकि (ख्, आ) तथा (ल्, ओ) के और टुकड़े या खंड नहीं हो सकते। इसलिए इन्हें वर्ण या मूल ध्वनि कहते हैं। इससे यह भी ज्ञात होता है कि—“भाषा की सबसे छोटी इकाई को मूल ध्वनि या वर्ण कहते हैं।”

वर्ण के भेद—

वर्णों के क्रमबद्ध समूह को वर्णमाला कहते हैं। हिंदी वर्णमाला में 52 वर्ण या ध्वनियॉं प्रयुक्त होती हैं—
  • अ, आ, इ, ई, उ, उ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ—स्वर वर्ण(11)
  • अं (अनुस्वर), अः (विसर्ग)—अयोगवाह(2)
  • क, ख, ग, घ, ङ (कवर्ग)—स्पर्श व्यंजन 1/5 (25)
  • च, छ, ज, झ, ञ (चवर्ग)—स्पर्श व्यंजन 2/5 (25)
  • ट, ठ, ड, ढ, ण (टवर्ग)—स्पर्श व्यंजन 3/5 (25)
  • त, थ, द, ध, न (तवर्ग)—स्पर्श व्यंजन 4/5 (25)
  • प, फ, ब, भ, म (पवर्ग)—स्पर्श व्यंजन 5/5 (25)
  • य, र, ल, व—अंतःस्थ व्यंजन(4)
  • श, ष, स, ह—ऊष्म व्यंजन(4)
  • क्ष, त्र, ज्ञ, श्र—संयुक्त व्यंजन(4)
  • ड़, ढ़—हिंदी के अपने व्यंजन(2)