वर्तनी, उसके नियम एवं त्रुटि शोधन
'वर्तनी' शब्द 'वर्तन' से बना है, अर्थात्-अनुवर्तन करना या पीछे-पीछे चलना। दूसरे शब्दों में, लिपि-चिह्नों के क्या रूप हों और उनका संयोजन कैसा हो, यह कार्य 'वर्तनी' का है। इसे अक्षरी, हिज्जे, स्पेलिंग या बँगला में 'बनान' भी कहते हैं। वर्तनी-संबंधी अशुद्धियों या समस्याओं के मुख्य तीन कारण हैं–
(क) किसी शब्द का अशुद्ध उच्चारण करना या सुनना।
(ख) अशुद्ध वर्तनीवाले शब्दों का बार-बार दर्शन होना।
(ग) मत-भिन्नता के कारण विभिन्न समस्याएँ। जैसे—
(1) यदि हम 'श' का उच्चारण 'स' की तरह करते हैं या सुनते हैं, तो निश्चित रूप से 'अशोक' शब्द को लिखते समय 'असोक' लिखेंगे। यह समस्या या अशुद्धि, गलत उच्चारण करने या सुनने के कारण है ।
(2) शिक्षा मनोविज्ञान की दृष्टि से जिस शब्द की जो वर्तनी बार-बार दिखाई देती है, दर्शक/पाठक के मानस पटल पर वही अंकित हो जाती है। अतः बच्चों के समक्ष अशुद्ध वर्तनीवाले शब्दों को कभी न रखें।
(3) कोई 'गये-गयी' लिखता है, तो कोई 'गए-गई | 'पक्का' शब्द को कोई ‘पक्का’ लिखता है, तो कोई 'पक्का' । इस प्रकार की कई समस्याएँ हैं 1 ये समस्याएँ मत- भिन्नता के कारण हैं।
वर्तनी से सम्बद्ध विभिन्न समस्याओं एवं उनके निदान की चर्चा करने के लिए निम्नलिखित पहलुओं पर विचार करना होगा—
- व्यंजनों के संयुक्त रूप ।
- विभक्ति-चिह्न ।
- उपसर्ग और प्रत्ययवाले शब्द |
- श्री / जी का प्रयोग |
- संयुक्त क्रिया, सहायक क्रिया एवं अव्यय ।
- संयोजक चिह्न ।
- तत्सम और विदेशज शब्द ।
- अनुस्वार और चन्द्रबिंदु ।
- ए / ये तथा ई / यी का प्रयोग|
- की / कि– के लिखने में दुविधा ।