वाक्य-प्रयोग द्वारा लिंग निर्णय
वाक्य-प्रयोग द्वारा लिंग-निर्णय की चार विधियाँ हैं—
1.क्रिया द्वारा लिंग-निर्णय—
गाय खाती है। | (खाती- स्त्रीलिंग) |
बैल खाता है। | (खाता-पुलिंग) |
'खाती' किया शब्द से गाय के स्वीलिंग एवं 'खाता' से बैल के पुंलिंग होने का बोध होता है।
2. विशेषण द्वारा लिंग-निर्णय—
गाय उजली है। | (उजली- स्त्रीलिंग) |
बैल उजला है। | (उजला-पुलिंग) |
'उजली' विशेषण शब्द से गाय के स्वीलिंग एवं 'उजला' से बैल के पुंलिंग होने का बोध होता है।
3. सर्वनाम द्वारा लिंग-निर्णय—
गाय मेरी है। | (मेरी स्त्रीलिंग) |
बैल मेरा है। | (मेरा पुलिंग) |
'मेरी' सर्वनाम शब्द से गाय के स्वीलिंग एवं 'मेरा' से बैल के पुलिग होने का बोध होता है।
4. संबंधकारक की विभक्ति द्वारा लिंग-निर्णय—
मोहन की गाय है। | (की-स्त्रीलिंग) |
मोहन का बैल है। | (का-पुलिंग) |
'की' विभक्ति-चिह्न से गाय के स्वीलिंग एवं 'का' से बैल के पुंलिग होने का बोध होता है।
नोट-लिग-निर्णय में वाक्य छोटे एवं सरल रखें। यदि आप बड़े वाक्य बनाते हैं, तो गलती की संभावना अधिक रहेगी। हाँ, एक बात और, ऐसा वाक्य न बनाएँ, जिससे लिंग-निर्णय स्पष्ट न हो। जैसे—
मैं गाय को पसंद करती हूँ। | मेरे चाचा के एक बैल है। |
मोहन गाय की पूजा करता है। | बैल का रंग उजला है। |
यह एक गाय है। | वह एक बैल है। |
वाक्य की दृष्टि से उपर्युक्त सारे वाक्य शुद्ध हैं, लेकिन लिंग-निर्णय की दृष्टि से अशुद्ध । ऐसा इसलिए कि उपर्युक्त वाक्यों से गाय/बैल पुंलिंग है या स्त्रीलिंग, स्पष्ट नहीं होता।