संगम
संगम को 'संहिता' भी कहते हैं। उच्चारण करते समय केवल स्वरों और व्यंजनों के उच्चारण, उनकी दीर्घता, उनमें संयोग और बलाघात का ही ध्यान नहीं रखना पड़ता, बल्कि पदीय सीमाओं का भी खयाल रखना पड़ता है। दूसरे शब्दों में, किस शब्द (पद) के बाद विराम रखना है या नहीं, अर्थात् दो पदों के बीच मौन विराम (बगैर विराम चिह्न के) को संगम' कहते हैं। इससे भी अर्थ में अंतर आता है। 'संगम' को समझने के लिए (+) चिह्न दिया गया है।
(क) उसके भाई का रण में देहांत हो गया। —(का + रण)
(यहाँ 'का' और 'रण' के बीच थोड़ा ठहरना है।) इसी ठहराव या विराम को संगम कहते हैं।
(ख) उसके भाई इसी कारण नहीं आए। —(कारण)
(ग) मरुभूमि का मैदान जल सा दिखाई देता है —(जल + सा)
(यहाँ भी 'जल' और 'सा' के बीच मौन विराम है )
(घ) मेरे विद्यालय में आज जलसा (सभा) है।—(जलसा)
(ङ) जा पानी ला— जा+पानी
(च) जापानी ला - (जापानी)