संबंधकारक - अर्थ एवं प्रयोग - (उदाहरण-सहित)

जिस संज्ञा या सर्वनाम से किसी वस्तु का संबंध जान पड़े उसे संबंधकारक कहते हैं। इसके चिह्न हैं- 'का', 'के' और 'की'।
जैसे

मोहन का घोड़ा दौड़ता है।उसका घोड़ा दौड़ता है।
मोहन के घोड़े दौड़ते हैं।उसके घोड़े दौड़ते हैं।
मोहन की घोड़ी दौड़ती है।उसकी घोड़ी दौड़ती है।

यहाँ, मोहन 'का, के, की'या उस 'का, के, की'संबंधकारक है, क्योंकि का घोड़ा, के घोड़े, की घोड़ीका संबंध मोहन (संज्ञा)या उस (सर्वनाम)से है। यही एक कारक है जिसका संबंध क्रिया से न होकर व्यक्ति या वस्तु से रहता है।