स्त्रीलिंग शब्दों के बहुवचन - नियमानुसार, उदाहरणसहित
1. एकवचन अकारांत स्त्रीलिंग संज्ञा के अंतिम 'अ' को ' एँ ' कर देने में बहुवचन बनता है।
जैसे–
एकवचन | — | गाय | पुस्तक | किताब | झील | लात | बहन | आँख |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|
बहुवचन | — | गायें | पुस्तकें | किताबें | झीलें | लातें | बहने | आँखें |
ऐसे कुछ शब्द है-आह, राह, मेज, मंजिल, दाल, खाल, मूँछ, पूँछ, फसल, गजल, रात, बात, आफत, आदत, जान, खान, लाश, घास, नहर, लहर, खबर, कलम, पेंसिल, जोंक आदि ।
एकवचन | — | यह गाय मेरी है। इसकी एक आँख आ गई है। |
---|---|---|
बहुवचन(विभक्तिरहित) | — | ये गायें मेरी हैं। इनकी आँखें आ गई है। | बहुवचन (विभक्तिसहित) | — | इन गायों की आँखों में लाली आ गई है। |
2. एकवचन आकारांत, उकारांत एवं ऊकारांत स्त्रीलिंग संज्ञा के अंत में 'एँ' जोड़ने से बहुवचन बनता है।
जैसे–
एकवचन | लता | कथा | भाषा | समस्या | ऋतु | बहू |
---|---|---|---|---|---|---|
बहुवचन | लताएँ | कथाएँ | भाषाएँ | समस्याएँ | ऋतुएँ | बहुएँ |
ऐसे कुछ शब्द हैं-घटना, रचना, सूचना, कामना, इच्छा, शिक्षा, दीक्षा, परीक्षा, माला, ज्वाला, पाठशाला, बालिका, अध्यापिका, परिचारिका, वस्तु, धातु (खनिज), हवा, दवा, वार्ता, कविता, विशेषता, क्रिया, संख्या, विद्या आदि।
एकवचन | बहुवचन(विभक्तिरहित) | बहुवचन (विभक्तिसहित) |
---|---|---|
वृक्ष से लिपटी लता मत तोड़ो। | वृक्ष से लिपटी लताएँ कमजोर हैं। | वृक्ष से लिपटी लताओं को मत तोड़ो। |
मैं एक भाषा जानता हूँ। | मैं अनेक भाषाएँ जानता हूँ। | संस्कृत अनेक भाषाओं की जननी है। |
लेकिन, आकारांत भाववाचक संज्ञाओं के बहुवचन रूप प्रायः नहीं होते है। जैसे–
- मुझे राम की मित्रता पर गर्व है।
- मुझे राम और श्याम की मित्रता पर गर्व है।
ऐसे कुछ शब्द हैं-दया, माया, छाया, वेदना, वंदना, याचना, घृणा, करुणा, कल्पना, क्षमा, गरिमा, महिमा, कालिमा, शत्रुता, मूर्खता, एकता, दासता, हिंसा, अहिंसा, आशा, निराशा आदि।
3. एकवचन स्त्रीलिंग संज्ञा के अंतिम 'इ' या 'ई' को 'इयाँ' तथा 'या' को 'याँ' में बदल देने से बहुवचन बनता है।
जैसे–
एकवचन | — | तिथि | नदी | मिठाई | कठिनाई | चिड़िया |
---|---|---|---|---|---|---|
बहुवचन | — | तिथियाँ | नदियाँ | मिठाइयाँ | कठिनाइयाँ | चिड़ियाँ |
ऐसे कुछ शब्द हैं गाड़ी, घंटी, ताली, मंडी, पकौड़ी, कचौड़ी, चूड़ी, पूड़ी, नारी, साड़ी, उपाधि, समाधि, जाति, चपाती, नारंगी, सारंगी, रीति, नीति, समिति, घड़ी, छड़ी, डोली, बोली, डाली, थाली, गाली, साली, प्याली, रोटी, बेटी, झाड़ी, नाड़ी, तिजोरी, कमजोरी, डिबिया, कुटिया, गुड़िया, पुड़िया, बच्ची, बूढ़ी, लड़की आदि ।
एकवचन | — | गलत रीति का विरोध करें। | मुझे एक मिठाई दो। |
---|---|---|---|
बहुवचन(विभक्तिरहित) | — | समाज में कई गलत रीतियाँ हैं। | मुझे दो मिठाइयाँ दीजिए। |
बहुवचन (विभक्तिसहित) | — | गलत रीतियों का विरोध करें। | मैं उन मिठाइयों का क्या करूँ। |
आपने एकवचन से बहुवचन बनाने के विभिन्न नियमों को देखा। विभक्तिरहित बहुवचन के अलग-अलग कई नियम हैं, लेकिन विभक्तिसहित बहुवचन के दो ही नियम हैं-शब्दों के अंत में 'ओं' या 'यों' जोड़ें।