विराम चिन्ह किसे कहते हैं? इनके सभी प्रकार एवं उदाहरण।

विराम-चिह्न - (Punctuation Marks in Hindi)

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विराम का अर्थ होता है— ठहराव । लिखते समय या बोलते समय यदि विराम न हो, तो पाठक या श्रोता को भाषा के सम्यक् ज्ञान में कठिनाई होती है। एक ही वाक्य के कई अर्थ निकल सकते हैं। वह भ्रमित हो सकता है। जैसे–

उसे रोको, मत जाने दो। (रोकने की बात है।)

 उसे रोको मत, जाने दो। (जाने की बात है।)

उपर्युक्त दोनों वाक्यों के अर्थ में जो अंतर दिख रहा है वह सिर्फ विरामचिह्नों के प्रयोग के कारण है। इसी प्रकार अन्य विराम-चिह्नों के प्रयोग से भी भाव में अंतर आता है। अतः विभिन्न विराम-चिह्नों और उनके प्रयोग को अच्छी तरह समझना चाहिए। कुछ प्रमुख विराम-चिह्नों के नाम इस प्रकार हैं जिनके प्रयोग की चर्चा आगे के पाठ में की गई है—

  1. (,) — अल्पविराम (Comma)
  2. (;) — अर्द्धविराम (Semi Colon)
  3. () — पूर्णविराम (Full Stop)
  4. (:) — उपविराम (Colon)
  5. (?) — प्रश्नवाचक चिह्न (Mark Of Interrogation)
  6. (!) — विस्मयादिबोधक-चिह्न (Mark Of Exclamation)
  7. (-) — संयोजक- चिह्न (Hyphen)
  8. (" ") या (' ') — उद्धरण-चिह्न (Inverted Commas)
  9. (()) या ([]) — कोष्ठक-चिह्न (Bracket)
  10. () — निर्देश-चिह्न (Dash)
  11. (...) या (xxx) — लोप-चिह्न (Mark Of Elipses)
  12. (.) — लाघव-चिह्न (Mark Of Abbreviation)
  13. (""") — पुनरुक्ति-चिह्न (Mark Of Repetition)
  14. (^) — त्रुटि-चिह्न (Mark Of Omission)
  15. (:—) — विवरण-चिह्न (Colon-Dash)

अल्प-विराम या Comma (,) किसे कहते हैं? इसके उपयोग तथा 10 उदाहरण।

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अल्पविराम का अर्थ होता है-थोड़ा ठहराव, थोड़ी देर लिए रुकना। इसका प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है

 1. यदि वाक्य के बीच में – पर, परन्तु किन्तु, लेकिन, तो, भी, मगर, इसलिए, अतः, क्योंकि, जिससे, वरन्, बल्कि, तथापि आदि अव्यय हो, तो उनके पहले। जैसे–

बोलो, मगर धीरे से।

वह आया, लेकिन चला गया।

सिर्फ पढ़ो ही नहीं, वरन् काम भी करो।

2. यदि एक ही प्रकार के शब्द या वाक्यांश आएँ । जैसे– शब्दों में– राम, श्याम, मोहन और सोहन दोस्त हैं। 

वाक्यांशों में—वह यहाँ आता है, पढ़ता है और चला जाता है।

3. यदि वाक्य में— यह, उसे, तब, अब, या, तो आदि लुप्त हों। जैसे–

मैं जो कहता हूँ, ध्यान से सुनो । ( 'उसे ' – लुप्त है) 

कब वह गया, कह नहीं सकता । ('यह' – लुप्त है ) 

जब जाना ही है, चले जाओ। ('तो'– लुप्त है) 

4. यदि वाक्य का आरंभ — हाँ, नहीं, बस,अच्छा,सचमुच, वस्तुतः छिः आदि से हो । जैसे–

हाँ, मैं जानता हूँ ।   नहीं, यह तो गलत है ।

सचमुच, वह इतना बुद्धिमान् है?  छिः, यह क्या कर दिया ? 

नोट—अंतिम वाक्य में विस्मयादिबोधक-चिह्न भी आ सकता है। जैसे–छिः ! यह क्या कर दिया !

5. संबोधन के बाद इस चिह्न का प्रयोग करें। जैसे–

अरे मित्र, तुम कहाँ गए थे ?

देशवासियो, मेरे हाथ मजबूत करें

नोट–संबोधनकारक में संज्ञा के बहुवचन रूप रहने पर भी अनुस्वार ( ) का प्रयोग न करें। जैसे—

प्यारी बहनों, देवियों और सज्जनों, हे बालकों—अशुद्ध । प्यारी बहनो, देवियो और सज्जनो, हे बालको शुद्ध |

6. यदि शब्द को दो-तीन बार दोहराना हो । जैसे—

नही,नहीं, मैं तुम्हारी बात नहीं मान सकता । 

चलो, चलो, यहाँ कुछ नहीं मिलेगा ।

वह दूर से, बहुत दूर से आया था ।

7. तिथि में इसका प्रयोग होता है। जैसे–

अगस्त 15, 1947 को हमारा देश आजाद हुआ

(लेकिन--15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हुआ)

8. पत्र में संबोधन के बाद इसका प्रयोग होता है जैसे–प्रिय सुरेश,खुश रहो।

9. किसी की उक्ति के पहले-'कि' के स्थान पर। जैसे –

सोहन ने कहा कि मैं दिल्ली जाऊंगा।

सोहन ने कहा, मैं दिल्ली जाऊँगा।

10. नाम, ओहदा और पता में प्रत्येक पद के बाद इसका प्रयोग करें। 

(क) प्रो. एस. के. सिंह, प्राध्यापक, हिन्दी विभाग, पटना विश्वविद्यालय, पटना, मेरे मित्र हैं।

(ख) वह कंकड़बाग, पटना, बिहार का रहनेवाला है।

अर्द्ध-विराम या Semi Colon (;) किसे कहते हैं? इसके उपयोग तथा 10 उदाहरण।

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अल्पविराम से अधिक और पूर्णविराम से कम ठहराव के लिए इस चिह्न का प्रयोग होता है। इसके निम्नलिखित प्रयोग हैं

1. जहाँ मुख्य वाक्य और समानाधिकरण का संबंध बहुत अधिक न हो। ऐसे वाक्यों के बीच संबंध न होते हुए भी कुछ-न-कुछ संबंध अवश्य रहता है। जैसे–

नदी के किनारे टहल रहा था; मंद-मंद हवा बह रही थी; हमलोग बातों में मशगूल थे कि सहसा एक चीख सुनाई पड़ी।

2. यदि मुख्य वाक्य के परिणाम की व्याख्या अन्य वाक्यों से करनी हो । जैसे—बड़े ऑफिसर के आते ही ऑफिस का परिदृश्य बदल गया; बिलकुल शांति छा गई; लोगों की जबान बंद हो गई; सभी अपने-अपने काम में लग गए।

3. जब वाक्य और उपवाक्य/उपवाक्यों में बहुत अधिक संबद्धता न हो। जैसे-

(क) अब क्या करूँ; वह रूठकर चला गया।

(ख) किसे समझाऊँ, वह माननेवाला नहीं, सिर्फ अपने मन की करता है।

पूर्ण-विराम या Full Stop (।) किसे कहते हैं? इसके उपयोग तथा 20 उदाहरण।

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पूर्णविराम का अर्थ होता है, पूरा ठहराव वाक्य की समाप्ति पर इस चिह्न का प्रयोग होता है। जैसे–वह पढ़ रहा है। राधा नाचेगी।

(i) कभी-कभी किसी घटना का नाटकीय रूप या सजीव वर्णन करने के लिए इस चिह्न का प्रयोग होता है। जैसे–स्टेडियम में हजारों की भीड़। अंतिम बॉल। अंतिम बल्लेबाज । चार रनों की जरूरत। सचिन का प्रवेश। और यह रहा छक्का। भारत की विजय ।

नोट- यह ध्यान रखें कि वाक्य की समाप्ति सिर्फ पूर्णविराम–चिह्न (1) से ही नहीं होती, वरन् प्रश्नवाचक या विस्मयादिबोधक चिह्न से भी होती उनमें सिर्फ भाव और भाव के अनुसार चिह्न का अंतर होता है। जैसे–

सीता सुंदर है।    ( स्वीकार के भाव की समाप्ति) 

सीता सुंदर नहीं है।   (अस्वीकार के भाव की समाप्ति) 

 सीता सुंदर है ? (प्रश्न के भाव की समाप्ति) 

सीता सुंदर है ! (विस्मय के भाव की समाप्ति) 

उप-विराम या Colon (:) किसे कहते हैं? इसके उपयोग एवं उदाहरण।

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उपविराम ( : ) – इस चिह्न का प्रयोग प्रायः पुस्तक, निबंध आदि के शीर्षक में होता है। जैसे–

(क)कश्मीर :ए ट्रेजडी ऑफ एरर्स (पुस्तक का नाम)। 

(ख) विज्ञान अभिशाप या वरदान (निबंध का शीर्षक)।

प्रश्नवाचक चिह्न या Mark Of Interrogation (?) किसे कहते हैं? इसके उपयोग एवं उदाहरण।

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प्रश्नवाचक चिह्न ( ? ) – इस चिह्न का प्रयोग प्रश्न पूछने, जिज्ञासा या संदेह आदि की स्थिति में होता है। जैसे–

1. प्रश्न के रूप में- 

क्या आप पढ़ते हैं ?   आप क्या पढ़ते हैं ?

2. जिज्ञासा उत्सुकता या संदेह की स्थिति में-

आप महेशजी के पुत्र हैं ? गीता अच्छी लड़की है, है न ?

 3. व्यंग्य के रूप में–

सिपाही – (चोर से) तू साधु है, है न ? चोरी तुमने नहीं, मैंने की है ?

4. यदि लेखक को शुद्ध-अशुद्ध का संदेह हो । जैसे—

दिनकर की पहली कवितो का नाम रश्मिरथि (?) था।

1857 ई. के सिपाही विद्रोह का नायक मंगल पाण्डेय (?) था।

नोट—ऐसे वाक्य जिनमें प्रश्न और उत्तर एक ही वाक्य में छिपे हों, तो वहाँ इस चिह्न का प्रयोग न करें। जैसे–

वह क्या पढ़ता है, मैं नहीं जानता।

तुम कहाँ रहते हो, उसे पता है।


विस्मयादिबोधक चिह्न या Mark Of Exclamation (!) किसे कहते हैं? इसके उपयोग एवं उदाहरण।

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विस्मयादिबोधक - चिह्न (!) -इस चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है–

1. हर्ष, विषाद, घृणा, करुणा, आश्चर्य, भय, शोक आदि तीव्र भावों को व्यक्त करने में। जैसे–

वाह! अच्छा किया |  –हर्ष

 आह! वह मर गया!  –शोक

बाप रे! कितना भयानक शेर! – भय

छी! ऐसा नीच काम!  –घृणा

2. देवी, देवता, ईश्वर आदि के संबोधन में। जैसे–

हे ईश्वर ! उसका कल्याण करो। देवी! मुझे शक्ति दो। 

3. अपने से छोटों के प्रति शुभकामना या सद्भावना प्रकट करने में। जैसे–
चिरंजीवी भव!  तुम्हारा कल्याण हो !

मुबारक हो! पुत्रवती भव!

संयोजक चिह्न या Hyphen (-) किसे कहते हैं? इसके उपयोग एवं उदाहरण।

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इस चिह्न का प्रयोग संस्कृत में नहीं होता है। हिन्दी और अँगरेजी के शब्दों में इसका प्रयोग होता है। जब दो शब्दों को जोड़ना हो, तब इस चिह्न का प्रयोग करें।

नोट – इस चिह्न के प्रयोग की चर्चा 'वर्तनी : नियम एवं त्रुटि-शोधन' अध्याय में की गई है।

उद्धरण चिह्न या Inverted Commas (" "/' ') किसे कहते हैं? इसके उपयोग एवं उदाहरण।

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उद्धरण-चिह्न(‘’’) या (' ') – इस चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है

1. जब किसी लेखक या पुस्तक की उक्ति को ज्यों-का-त्यों उद्धृत करना हो। जैसे—

"मैं तुम्हें देवता नहीं, मानव देखना चाहती हूँ”—महादेवी वर्मा।

2. किसी महत्त्वपूर्ण सूक्ति या किसी महान् व्यक्ति के कथन में। जैसे—

खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।" – सुभाषचन्द्र बोस । 

3. पुस्तक का नाम, किसी व्यक्ति का उपनाम, गद्य या पद्य के शीर्षक आदि लिखते समय इस चिह्न का प्रयोग करें। जैसे–

'रामचरितमानस' एक धार्मिक पुस्तक ही नहीं, महाकाव्य भी हैं। 'दिनकर' राष्ट्रकवि थे।

'पंचपरमेश्वर' कहानी को संक्षेप में लिखें।